Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Friday, November 15, 2013

उड़ चल ऐसे जहां में- Last wish


उड़ चल ऐसे जहां में, जहाँ कोई गम ना हों,
सो जाएं हम वहाँ, जहाँ आँखें किसी की नम ना हों,
अरमानों के आसमां में, सिन्दूर की घटाएं छाई रहें,
दुआओं की रात में चांदनी हमेशा बरसती रहे

सपनो के खिलौने बनाने वाले उस खुदा से मिलें
खिलोना दे कर मुकद्दर बनाने वालें से मिलें
ना पूछे, ना बताएं कोई भूल ना कमज़ोरियाँ

दामन पकड़ कर बस चलते रहें
खेल जो बाबस्ता खेलते रहे हम, तुझ संग चुपके से देखा करें
मिल जाएं इस तरह उस खुदा में, कि फिर कभी जुदा ना हों,
उड़ चल ऐसे जहां में, जहाँ कोई गम ना हों
                                                             - Ashish Segan


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© Snehil Srivastava

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