Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Sunday, August 4, 2013

The beginning- बस एक शुरुआत


देश रो रहा है, क्षण प्रतिक्षण।
किसके लिए?
हमारे सिवा और किसके लिए?
जब सर्द हवा सिहरन पैदा करती हैं
तो दोष देश का नहीं
जब माथे पर पसीने की बूँदें इकठ्ठा हो जाती हैं
तो भी दोष देश का नहीं।
किन कारणों से है

दसों दिशाओं में रक्त का हाहाकार
और फैला हुआ है हर कहीं
विडम्बनाओं का रूप साकार।
इस घुटन
में जीने से क्या होगा?
यूँ बैठे बैठे तो कुछ भी ना होगा।
बस एक कदम की ही तो बात है
करनी हमें बस एक शुरुआत है
खुद में सोये हुए उस जज्बे को जगाने की

बहते हुए हर आंसू को मिटाने की
अपने हांथो से,
अपने इन्हीं कोमल हांथो से
जैसे कोई अपने बच्चे को प्यार करता है।
बस यही और कुछ नहीं
कुछ भी नहीं।
देश हसेगा, खिलखिलायेगा
और फिर हम!!




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