उन स्याह हो चुके चोटों के निशान
बहुत गहरे तक बसे हैं आज भी
जिन जिन को खोया है इस दिल ने
काश कोई पूछ लेता इसका दर्द कभी
उस मासूमियत का एहसास मीठा
लगता है कहीं अब खो सा गया
जब सोचता हूँ उसे फिर एक बार
तो आँखों से बहता है दरिया
काश एक विराम से कहकर
क्षण भर रुका हो इतिहास विश्व
फिर ना लौटें ह्रदय अश्रु
ना कभी हो रक्तिम चित्त
फिर ना हों सूनी दोपहरी
ना घनी फिर रात हो
है प्रश्न ये आधा अधूरा
ना कोई उत्तर ज्ञात हो
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© Snehil Srivastava
gud one...!! had a deep meaning...
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