पानी में तैरता तिनका
हवाओं संग अठखेलियां करता तिनका
आँखों में पड़ा तिनका
मिट्टी में मिला तिनका
सन्दर्भ कई रूप वही
सर्वस्व मिथ्या, केवल तिनका सही
अपने अस्तित्व को संजोता
यहां वहां भटके किन्तु नहीं रोता
खुरदुरा सा, कभी चमचमाता
तो कभी नरम धूलि सा धूमिल हो जाता
मुख मौन सदा रहता
अंतर्मन से सबकुछ कह देता
क्रोध रुपी तिनका
करुणामयी तिनका
तुझपर अर्पित तिनका
कितना है विस्तृत तिनका
हवाओं संग अठखेलियां करता तिनका
आँखों में पड़ा तिनका
मिट्टी में मिला तिनका
सन्दर्भ कई रूप वही
सर्वस्व मिथ्या, केवल तिनका सही
अपने अस्तित्व को संजोता
यहां वहां भटके किन्तु नहीं रोता
खुरदुरा सा, कभी चमचमाता
तो कभी नरम धूलि सा धूमिल हो जाता
मुख मौन सदा रहता
अंतर्मन से सबकुछ कह देता
क्रोध रुपी तिनका
करुणामयी तिनका
तुझपर अर्पित तिनका
कितना है विस्तृत तिनका
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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