Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, October 29, 2015

'आज'
Today and everyday

आज कहीं खून का एक कतरा नहीं बहा
ना ही कहीं किसी मासूम की मौत हुई
आज कहीं कोई भूख से बिलखता नहीं दिखा
ना ही कहीं किसी लड़की की इज्जत लूटी गयी
आज कहीं किसी माँ का दिल नहीं दुखा
ना ही किसी पिता की नज़रें शर्मसार हुईं
आज हर कोई अच्छा इंसान बन गया
आज किसी ने किसी की बुराई नहीं की
आज नेताओं ने भी देश का सम्मान किया
कहीं भी गन्दी राजनीति नहीं हुई
आज सीमा पर कोई सैनिक शहीद नहीं हुआ
और दुश्मन देशों के बीच खिंचीं लकीरें मिट गयी
आज निष्कलंक रही धरती की धुंधली सुबह
आज कहीं कोई काली रात नहीं हुई

आज यही सुहावना सपना मैंने फिर देखा
और मेरे आँखों से नमी बस बहती चली गयी


-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

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