इन तमाम रंगों की महक
और इनकी रंगीनियत को
दोनों हथेलियों पर रखकर
तौलने से होता एहसास
रंगों के एकाकीपन को
और उनके सुन्दर मन को
भ्रमित सा कर देता है
उन्हें समझ नहीं पाता
जब तक उनमें तारतम्य बैठे
हर एक रंग अपनी अमिट छाप
छोड़ देना चाहता है
बिना ये जाने कि आखिर
ये कोमल हथेलियाँ चाहती क्या हैं
ये रंग
और भी गहरे होते जाते हैं
गाढ़ा लाल, कुछ कुछ काला
जैसे मरे हुए खून का रंग
जिसे खरोंचने पर
वो नाखूनों में फंस जाया करता है
उसकी ना मिटने वाली इच्छा
अमर हो जाती है
रंगों की महक
और इसकी रंगीनियत
बोझिल सी लगने लगती है
हाँ ये बात और है
कि इन्हीं रंगों से
इंद्रधनुष भी बनता है
पर इसके लिए
मेघों का बरसना
कितना ज़रूरी है
ये कोई इन हथेलियों से पूछे
कभी तो......
Picture credit: www.wallippo.com
और इनकी रंगीनियत को
दोनों हथेलियों पर रखकर
तौलने से होता एहसास
रंगों के एकाकीपन को
और उनके सुन्दर मन को
भ्रमित सा कर देता है
उन्हें समझ नहीं पाता
जब तक उनमें तारतम्य बैठे
हर एक रंग अपनी अमिट छाप
छोड़ देना चाहता है
बिना ये जाने कि आखिर
ये कोमल हथेलियाँ चाहती क्या हैं
ये रंग
और भी गहरे होते जाते हैं
गाढ़ा लाल, कुछ कुछ काला
जैसे मरे हुए खून का रंग
जिसे खरोंचने पर
वो नाखूनों में फंस जाया करता है
उसकी ना मिटने वाली इच्छा
अमर हो जाती है
रंगों की महक
और इसकी रंगीनियत
बोझिल सी लगने लगती है
हाँ ये बात और है
कि इन्हीं रंगों से
इंद्रधनुष भी बनता है
पर इसके लिए
मेघों का बरसना
कितना ज़रूरी है
ये कोई इन हथेलियों से पूछे
कभी तो......
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© Snehil Srivastava
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