Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Friday, November 7, 2014

तो क्या लिखूं What if I write something


अब लिखूं भी तो क्या लिखूं
कोई गीत, कोई कविता
या एक कहानी
भूली बिसरी यादें, वो मीठी बातें
या आँखों का पानी
या फिर लिख दूँ
बीते हुए बचपन को
अपने रीते मन को

आखिर लिखूं भी तो क्या लिखूं
कुछ पराया, कुछ अपना
या एक प्यारा सा सपना
अधूरे रिश्ते, वो अनकहे किस्से
या फूलों का महकना
या फिर लिख दूँ
पराजय में जय की
सरलता हृदय की


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© Snehil Srivastava

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