अब लिखूं भी तो क्या लिखूं
कोई गीत, कोई कविता
या एक कहानी
भूली बिसरी यादें, वो मीठी बातें
या आँखों का पानी
या फिर लिख दूँ
बीते हुए बचपन को
अपने रीते मन को
आखिर लिखूं भी तो क्या लिखूं
कुछ पराया, कुछ अपना
या एक प्यारा सा सपना
अधूरे रिश्ते, वो अनकहे किस्से
या फूलों का महकना
या फिर लिख दूँ
पराजय में जय की
सरलता हृदय की
Picture credit: What if I write something (www.rappingmanual.com)
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© Snehil Srivastava
Likh do bayane haal dil ka..
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