ज़ूनी हुआ करता था उसका नाम।
एक दिन ना जाने किस बात पर उफ़क़ पड़ी।
लाख पूछा, पर वो आँखें लाल किये घंटों छत को घूरती रही।
खाना भी नहीं खाया। सुबह एक ग्लास दूध का दिया वो भी सिराहने रखी टेबल पर यूँ ही पड़ा रहा।
शाम को जब अम्मी ने सीने में भींचकर उसके बालों को सहलाया, ज़ूनी की आँखें बह चलीं। अम्मी ने उसके आंसू पोछे। फिर उसने बताना शुरू किया।
लाख पूछा, पर वो आँखें लाल किये घंटों छत को घूरती रही।
खाना भी नहीं खाया। सुबह एक ग्लास दूध का दिया वो भी सिराहने रखी टेबल पर यूँ ही पड़ा रहा।
शाम को जब अम्मी ने सीने में भींचकर उसके बालों को सहलाया, ज़ूनी की आँखें बह चलीं। अम्मी ने उसके आंसू पोछे। फिर उसने बताना शुरू किया।
बीते दिनों किसी सहेली ने उसकी अम्मी के बारे में कुछ बेहूदी बातें कह दी थी कि ज़ूनी उनकी अपनी लड़की नहीं है। ज़ूनी हिन्दू की लड़की है और '93 के दंगों में वो उसे कही रोती हुई मिली थी।
अम्मी क्या ये सच है? ज़ूनी ने पूछा।
बेटा सच क्या है झूठ क्या है, आज इस बात से कोई फऱक नहीं पड़ता। तुम मेरी ज़ूनी हो और हमेशा मेरी बेटी रहोगी।
तुम्हारी माँ ने उस वखत सिरफ़ इतना कहा था मुझसे-
मेरी बेटी, जमुना।
मैंने निकाह नहीं किया। क्योंकि मेरा सब कुछ तुम हो।
ज़ूनी ने अपने हाथ पर आंसू की बूंदों की गरमाहट को महसूस किया। और भी कसकर अम्मी से लिपट गयी।
उसने अपनी अम्मी के आंसुओं को पोछा और अपने भी।
अम्मी क्या ये सच है? ज़ूनी ने पूछा।
बेटा सच क्या है झूठ क्या है, आज इस बात से कोई फऱक नहीं पड़ता। तुम मेरी ज़ूनी हो और हमेशा मेरी बेटी रहोगी।
तुम्हारी माँ ने उस वखत सिरफ़ इतना कहा था मुझसे-
मेरी बेटी, जमुना।
मैंने निकाह नहीं किया। क्योंकि मेरा सब कुछ तुम हो।
ज़ूनी ने अपने हाथ पर आंसू की बूंदों की गरमाहट को महसूस किया। और भी कसकर अम्मी से लिपट गयी।
उसने अपनी अम्मी के आंसुओं को पोछा और अपने भी।
जमुना खुश थी कि ज़ूनी सच जान चुकी थी।
Picture credit: www.danoflynnphotography.com
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© Snehil Srivastava
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