कुछ न कुछ तो
टूटता ही रहता है हर पलकभी ख़्वाब कभी मोहब्बत
कभी किसी के खाली महल
ईमान भी टूटते देखें हैं
हमने इसी जहां में
आवाजाही लगी रहती है यहां
जाने फिर कब हो ऐसी चहल पहल
जुड़ना भी महसूस हुआ है
कई बारी इसी टूटने में
हर मुश्किल का निकल ही आता है
कोई ना कोई वाज़िब हल
अब ना गिला कर
ना कोई शिक़वा भी हो किसी से
एक मिली है ज़िन्दगानी आज
क्या पता न हो फिर कभी कल
-Snehil Srivastava
Picture credit: www.wnd.com and Movie- 'Unbroken'
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© Snehil Srivastava
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