नाकामी ये नहीं
कि हम गिर जायें
पर ये,
कि गिरकर, उठने का
साहस ना जुटा पाएं
नाकामी के पल
हमें और भी गहरी
गर्त में ले जाते हैं
जहाँ से निकलने के
सारे रस्ते
बंद ही नज़र आते हैं
सही भी अब सिर्फ
गलत नज़र आता है
जहान की सारी गन्दगी से
मन भर सा जाता है
सब कुछ मिटा देने को
दिल कहता है
इश्वर भी दूर बैठा
हँसता हुआ दिखता है
ज़िन्दगी के मायने
बदल जाते हैं
इंसान में छिपे चेहरे
साफ़ नज़र आते हैं
साफ़ नज़र आते हैं
ख्वाहिशों का दम
टूट जाता है
हर तरफ
घना अँधेरा नज़र आता है
परन्तु,
हर नाकामी
हर नाकामी
एक नयी सफलता की सीख है
गिरकर, उठाना ही
मानव की पहली जीत है
बीता हुआ मिटा देना
सच की शुरुआत है
बंद रास्तों पर राहें बना लेना
ही कोई बात है
दूर बैठा इश्वर
सब जानता है
हँसता है
क्यूंकि वो इंसान में छिपा
इंसान पहचानता है
कुछ भी हो जाये
ख्वाहिशें कभी नहीं टूटती
हर घने अँधेरे के बाद ही
रौशनी है होती
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