वह निश्चल है, वह श्वेत है
हाथों से सरकती रेत है
वह आत्मिक है, वह निर्भय है
हर हार में छिपी विजय है
वह सौम्य अनवरत राह है
सदा बहने वाला प्रवाह है
वह एक 'शब्द' है चाह का
कर्णप्रिय मुस्कान, हार आह का
मानो तो लम्बी रात है
जाने कबसे अज्ञात है
सभी को भाता भाव है
तपती धूप की, ठंडी छाँव है
वह रहस्य है, अस्तित्व का
हर सुन्दर, निखरे व्यक्तित्व का
मानो तो विश्वास है,
वह 'शब्द' आत्मविश्वास है
No comments:
Post a Comment