Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, August 18, 2012

तमस के बाद...



फिर एक बार
तमस का साथ
दे रहा ह्रदय पर आघात
जूझना खत्म हो चुका था
एक बार फिर शुरू हुआ
अन्तर्द्वन्द्व निरंतर अग्रसर है
चिरनिंद्रा की आशा में
नींद से दूर
घनघोर निराशा में
व्यक्तित्व बिखरा हुआ
कण कण में मिलकर
फैला है चहुँ दिशाओं में
शायद महके एक फूल बनकर
पाषाण खण्डों का जहान
सत्य से दूर
असत्य की होड़ में
हृदय है मजबूर
शून्यता चीख कर बोली
हार चुके हो तुम
अनगिनत सरोकारों से रहित
अश्वास संसार हो तुम
संताप कालिमा लिए
रौशनी का आभास करा रही
जो दूर है कहीं छिपी हुई
पर नज़र नहीं आ रही
क़दमों की थकान कहती-
रुक जाओ अब यहीं
होठों की मंद मुस्कान कहती
हारना सत्य है, पर यूँ रुकना नहीं
हर तमस के बाद
होता है उजाले से साक्षात्कार
आशा ही किरण है
है सफल जीवन का आधार

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