सुन लो मेरी मूक कहानी
बात पुरानी बीत गयी जो
दिल ने मेरे सच है मानी
छोटे कोमल हाथों को छूकर
मैंने तेरा मन पहचाना
उन गहरी आँखों के अन्दर
दुनिया देखी सच को जाना
बातें तुमसे करता था जब
बिन शब्दों के बस चुप रहकर
तुमने भी तो गले लगाया
मुझको अपना जीवन कहकर
मेरा साथी है हर पल का
माथे का वो निशान तुम्हारा
इन आँखों की नमी को सुनकर
शब्दों से ये मन है हारा।
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