तुमसे है मेरी सुबह, तुमसे है मेरी हर शाम
तुम बिन एक पल भी जियूं, है नहीं आसां
रात वो काली बीत गयी, उन मीठी यादों के सहारे
पर ऐसा क्यूँ हुआ, क्यूँ हम इस वक़्त से हारे
तुझमें जिया है जीवन मैंने, सपना सच्चा प्यारा सा
तुम नहीं हो पास मेरे अब, पर मैं हूँ तुम्हारा सा
याद तेरी सुकून है मेरा, कंधे पर वो सर रख लेना
तेरे कोमल पैरों को छूकर, आँखों से नदियों का बहना
तुमसे ही है जीवन मेरा, तुमसे है दिल का आराम
तुम बिन एक पल भी जियूं, है नहीं आसां
तुमसे बातें करके अब मैं, हंस भी तो लेता हूँ
आँखें बंद किये बस सपनों में खोया रहता हूँ
कल तेरे हाथों को छूकर, अन्दर तक कुछ कुंहक उठा
आँख खुली तो देखा मैंने, हाथ गुलाबी महकता सा
याद तेरी आस है मेरी, दुनिया पूरी होने की
सुन लो मुझको बस एक पल को, आँखों की ये भरी नदी!!
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