मुझे तुम पसंद हो
तुम्हे सोचने भर से सुकून मिलता है
लेटते ही नींद की गोद थपकी देती है
ये चारों ओर की खुशबू गर्म दोपहरी में
सूखे गले को तरावट देने वाली पानी सी है
जिसका ठण्डापन अकेले ही नाव पर बैठे
बस कहीं जाने वाले नाविक की तरह
नरम पानी से उसके प्रेम को दर्शाता है
वो इस प्रेम पाश में बंधकर भी मुस्कुराता है
तुम्हे सोचने भर से सुकून मिलता है
लेटते ही नींद की गोद थपकी देती है
ये चारों ओर की खुशबू गर्म दोपहरी में
सूखे गले को तरावट देने वाली पानी सी है
जिसका ठण्डापन अकेले ही नाव पर बैठे
बस कहीं जाने वाले नाविक की तरह
नरम पानी से उसके प्रेम को दर्शाता है
वो इस प्रेम पाश में बंधकर भी मुस्कुराता है
अब तो बस कहीं खोने को दिल करता है
तुम्हारे या हो सके तो तुम्हारे एहसास के साथ
ये जो सफ़ेद पर्वत हैं, मुझे बुलाते हैं
इनकी आवाजें गूंजती हैं मेरे कानो में
और ये सर्द हवा मुझे खुद में समा लेना चाहती है
कि जैसे मेरी अरदास पूरी हो गयी हो
आंखें बंद किये इतना कुछ देखा है मैंने
अब इन्हें मूंदे रहने में ही सुकून है
लेकिन, मुझे तुम पसंद हो
तुम्हारे या हो सके तो तुम्हारे एहसास के साथ
ये जो सफ़ेद पर्वत हैं, मुझे बुलाते हैं
इनकी आवाजें गूंजती हैं मेरे कानो में
और ये सर्द हवा मुझे खुद में समा लेना चाहती है
कि जैसे मेरी अरदास पूरी हो गयी हो
आंखें बंद किये इतना कुछ देखा है मैंने
अब इन्हें मूंदे रहने में ही सुकून है
लेकिन, मुझे तुम पसंद हो
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