यदि अब मैं तुम्हे
नभ की तारिका नहीं कहता
या कली वगैरह
अर्थ ये नहीं
कि मेरा प्यार झूठा है
बल्कि प्रतिमान बदल गये हैं
अधरों की कान्ति
जब मध्धम मध्धम सी है
जिन पर मेरे गीत
मुस्कुरा उठते थे
तुम्हारे बदन की
आड़ी तिरछी सी रेखाएं
जो मेरे शब्दों से भी अधिक
सुकोमल हुआ करती थीं
प्रिये, मुझे तुम्हारे हृदय से
आज भी उतना ही प्यार है
अर्थ ये नहीं
कि मेरा प्यार झूठा है
बल्कि प्रतिमान बदल गये हैं
तुम्हारे शब्दों में
अभी भी उतनी ही कोमलता है
जो मेरे हृदय को
असीम शांति का एहसास कराते हैं
और तुम्हारी छुअन की गर्माहट
बारिश में
कंपा देने वाली ठण्ड से
मुक्त करती है
मेरा विश्वास करो प्रिये
"मैं अकेला जरुर हूँ पर आज भी वही हूँ"
अर्थ ये नहीं
कि मेरा प्यार झूठा है
बल्कि प्रतिमान बदल गये हैं
Picture credit: www.abstract.desktopnexus.com
Picture credit: www.abstract.desktopnexus.com
(Note- No part of this post may be published, reproduced or stored in a retrieval system in any form or by any means without the prior permission of the author.)
© Snehil Srivastava
No comments:
Post a Comment