Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Tuesday, October 28, 2014

शून्य-मानवता Impractical Practicality


मैं ढूंढ रहा हूँ इसे
पिछले कई दिनों से
अँधेरी रातों में
पथरीले रास्तों पर
सूख चुके पेड़ों में
मुरझा चुकी कलियों में
और कभी आसमान से गिरती
पानी की बूंदों में
मृत पंछियों के चहकने के
आभास में
कुचले गये जानवरों की
कातर आवाज़ में
सीमा पर मारे गये
सैनिक की माँ की नम आँखों में
भूख से तड़पते बच्चे की
चलती रूकती सांसों में
अधूरे सपनों में
कुछ पराये कुछ अपनों में
मैं ढूंढ रहा हूँ इसे
पिछले कई दिनों से
पर शायद,
मेरी संवेदना मर चुकी है



Picture Credit: www.nationofchange.org
(NoteNo part of this post may be published, reproduced or stored in a retrieval system in any form or by any means without the prior permission of the author.)

No comments:

Post a Comment