Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Sunday, June 20, 2010

दोस्ती फिर से..

याद है कुछ ऐसी...जैसे सालों पुरानी बात हो...
बात है कुछ ऐसी, जैसे...कितनी लम्बी रात हो..
बस अभी अभी मिले हम..
ना बिखरने के लिए फिर कभी..

ना जाना छोड़कर मुझको..औरों कि तरह तुम बच्ची....
कहना है बस यही..
कोशिश करूँगा बदलने की....
पर सच्चे दिल से कहना..क्या ज़रूरत है इसकी?

शब्दों को ध्यान से सुना मैंने.
जो कहा सच कहा तुमने..
पर शायद हम..एक जैसे हे हैं...
जैसे गुड़िया पहने हो ढेर सारे गहने..

होती है वो सिमटी सी..सकुचाई सी...दुनिया से अनजानी सी..
रहती है वो यहाँ वह...बहते हुए पानी सी..
अभी मै क्या कहू...हुए हो कुछ खास तुम..
बस इतना हे कह दूँ ...जैसे हो बिलकुल पास तुम...!!