Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Monday, October 11, 2010

ये नाम है जो तेरा.....


ये नाम है जो तेरा, मुझको थामे सा रहता है
जब हो जाता हूँ अकेला, धीरे से कुछ कहता है
देता है शक्ति जीने की, सीमाओं में रहने की
फिर ना जाने क्यूँ, आँखों से दरिया बहता है
जब सांसें थम सी जाती हैं, आँखें बंद हो जाती हैं
हौले क़दमों की आहट से, दिल को मेरे छू लेता है
उन काली खाली रातों से, करनी है मुझको दोस्ती
अकेले चलते इन राहों पे मेरा समय भी बीता है

ये नाम है जो तेरा, मुझको थामे सा रहता है
जब हो जाता हूँ अकेला, धीरे से कुछ कहता है

क्यूँ नहीं हो तुम मेरे पास, क्या जानो तुम इसका एहसास
बस नाम यही है तेरा, जो मुझसे बातें करता है
जब आँखें बंद किये मै सपनों में खोया रहता हूँ
ये नाम वहां भी आकर, गुमसुम सा बैठा रहता है
हर पल, हर लम्हा, ना जाने क्या क्या कहता है
खुद को शायद है भुला दिया, फिर भी अच्छा सा लगता है
अब मत रोना ऐ नाम मेरे, वरना अकेला हो जाऊंगा
खुद, खोके मिलना मुश्किल है, स्नेहिल तुमसे कहता है|

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© Snehil Srivastava