पहली आहट खनकती सी लगी
कि जैसे आँगन में
काले मेघ घिर आये हों
और फिर बारिश की
उन छोटी छोटी बूंदों का
हौले से मिट्टी को भिगो देना
मिट्टी पर उकेरे गये
हर एक निशान को
जब करीब से देखा तो
हृदय में सोंधी सोंधी महक की
करुणामय अनुभूति हुई
वर्षों से सोयी निष्प्राण भूमि
जैसे सुन्दर फूलों से
आच्छादित हो जाती है
प्रत्याशा का सघन रूप
निराशा को क्षीण कर देता है
मेघों की वाणी में
अपनापन दिखाई देता है
तो क्या
इस पहली आहट का सुकून भी
निरंतरता को द्योतक है
या फिर इस बार
ये मेघ ये बयार ये आहट
ठहराव की नयी अभिव्यंजना रचेगी
और ये बारिश
बस यूँ ही होती रहेगी...होती रहेगी।
Picture credit: http://vaishalisudan.blogspot.in/2012/07/first-rain-of-season.html
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© Snehil Srivastava
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