Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Wednesday, September 17, 2014

तेरी मासूम सी ज़िद


तेरे झगड़ने की जिद भी तेरे प्यार जैसी लगती है
हर तकरार के बाद जाने क्यों तू मेरी बाँहों में सिमटती है
अब बस फ़िक्र है तेरी आँखों में आंसू आ ना पाएं
तेरी हर झिड़की तेरे इश्क की खुशबू सी महकती है

तू मांग ले जो कुछ भी चाहे, चाहे तो तू जान भी मांग सकती है
नूर है ये उन आँखों का जो काजल से सजतीं हैं
वादा रहा आखिरी सांस का तुझसे हम आखिर मिल ही जायें
तेरी हंसी में मिली खुशियाँ फिर ये लड़ाईयां क्या कर सकती हैं


Photo Credit: http://demortalz.com/2012/11/22/cute-and-lovely-romantic-love-wallpapers/

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© Snehil Srivastava

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