सब कुछ लिखा हुआ है.....
ये भी लिखा हुआ है
ये मिलना दोस्तों का अरसे बाद
याद आता है जैसे हो कल की ही बात
गले लग जाना हर हार के बाद
रूठकर मनाना चाहे कितनी भी गहरी क्यों ना हो रात
सब कुछ लिखा हुआ है
वो पहली मुलाकात...
अकेले थे जब न कोई था करने को बात
अब भी थे अकेले जब तक तुम नहीं थे साथ
दोस्त तुम हो तो ज़िन्दगी जीने में है कुछ और बात
सब कुछ लिखा हुआ है
अब तो थक गया हूँ इन कामों से
कुछ ऐसा हो जाता के फिर मिलता उन आरामों से
तुम जो थे साथ हर मुश्किल राहों पर
साथ था ऐसा जैसे खुदा की पनाहों में
सब कुछ लिखा हुआ है
ज़िन्दगी है बहुत छोटी ये मुझे पता है
तुम सा ना मिलेगा कोई ये भी मुझे पता है
है ये एक नई शुरुआत ना जाने क्यों लगता है
तुम्हारा साथ हो तो हर गम महकता है
दोस्त, क्या सब कुछ लिखा हुआ है?
Phone credit: From movie Dil Chahta Hai
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© Snehil Srivastava
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