तेरी महक,
कुछ भोली सी लगती है
तेरी हर बात,
हंसी ठिठोली सी लगती है
तेरे चलने पर दिख पड़ती है
पायल की छनक
तेरी छुअन मुझे,
दीवाली की रंगोली सी लगती है
तेरी हर अदा,
सुनहली सी लगती है
तू कई बार मुझे,
पहेली सी लगती है
तेरा सजना तेरा संवरना
देखा है मैंने कई दफा
तू मुझे दुल्हन,
नयी नवेली सी लगती है
चलो फिर आज हम एक वादा करें
यूँ ही हंसते रहने का इरादा करें
टूट भी जाये ये वादा तो कोई बात नहीं
ना जरा कम करें, थोड़ा ज्यादा करें
तेरी महक तेरी बातें तेरा चलना तेरी छुअन
और इन सबके बीच हँसता मुस्कुराता मेरा चंचल मन
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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