कुछ मंत्र, कुछ अघोरी, कुछ सिद्धियां
और मेरा अज्ञान
आमने सामने। दृष्टि संयत, श्वास उद्वेलित
दूर सुनाई पड़ता मूक गान
मेरा केवल एक प्रश्न-
मृत्यु दुःख और जीवन सुख क्यों है?
उत्तर विस्तृत-
ॐ।
अतिरिक्त सबकुछ मौन।
रहस्य की भांति, प्रथम योगी की पाती
बतलाये अर्थ मंत्रो का
समझाए तर्क अघोरियों का
कहलाये विमर्श सिद्धियों का
मृत्यु अंत, जीवन प्रारम्भ
एक में छूटे सब, दूजे पर कितना दम्भ
त्याग कष्ट है, दुःख। और जब मिले कुछ भी, होता सुख
किन्तु,
मृत्यु अंतिम सुख और जन्म प्रथम
बाद जन्म के हैं कष्ट सघन
सर्वोपरि इनमें एक उच्चारण
ॐ।
अतिरिक्त सबकुछ मौन।
अतिरिक्त सबकुछ मौन।
और मेरा अज्ञान
आमने सामने। दृष्टि संयत, श्वास उद्वेलित
दूर सुनाई पड़ता मूक गान
मेरा केवल एक प्रश्न-
मृत्यु दुःख और जीवन सुख क्यों है?
उत्तर विस्तृत-
ॐ।
अतिरिक्त सबकुछ मौन।
रहस्य की भांति, प्रथम योगी की पाती
बतलाये अर्थ मंत्रो का
समझाए तर्क अघोरियों का
कहलाये विमर्श सिद्धियों का
मृत्यु अंत, जीवन प्रारम्भ
एक में छूटे सब, दूजे पर कितना दम्भ
त्याग कष्ट है, दुःख। और जब मिले कुछ भी, होता सुख
किन्तु,
मृत्यु अंतिम सुख और जन्म प्रथम
बाद जन्म के हैं कष्ट सघन
सर्वोपरि इनमें एक उच्चारण
ॐ।
अतिरिक्त सबकुछ मौन।
अतिरिक्त सबकुछ मौन।
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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