आज मैंने ख़ुशी लाल गुब्बारे में फूटती देखी
एक बचपन कितना सरल होता है
जिसे कुछ नहीं चाहिए
ना रुपये ना गाड़ी बंगले
ना ही कोई भौतिक सुख
इसकी सरलता सुख के एहसास में है
जिसका मोल ये संसार तो नहीं ही लगा सकता है
एक बचपन कितना सरल होता है
जिसे कुछ नहीं चाहिए
ना रुपये ना गाड़ी बंगले
ना ही कोई भौतिक सुख
इसकी सरलता सुख के एहसास में है
जिसका मोल ये संसार तो नहीं ही लगा सकता है
बाजार में माँ के साथ आया बच्चा
गुब्बारे वाले को देखते ही खुश हो उठता है
की उसे इन रंग बिरंगे गुब्बारों में से
ये वाला, नहीं नहीं वो वाला
या फिर सारे के सारे गुब्बारे चाहिए
लाल पीला हरा नीला
किर्र किर्र की झुंझला देने वाली आवाज़ वाला गुब्बारा
और माँ ख़ुशी ख़ुशी उस नटखट की ख़ुशी में
कुछ छोटे कुछ बड़े गुब्बारे ले देती है
दो चार क्षणों बाद ही, धड़ाम!
फूट गया लाल गुब्बारा
टूट गया कोमल हृदय
यही तो सबसे प्यारा गुब्बारा था
अँखियों से मोती जो टपकने से लगते हैं
माँ उन्हें पोछती है, बच्चे को पुचकारती है
कहती है,
अरे ये नीला वाला तो तुम्हारे कपड़ों के रंगों से
मेल खाता है, लाल वाला तो कुछ छोटा सा था
और वो हंसने लगता है
उसे लाल गुब्बारे वाली ख़ुशी
नीले गुब्बारे में जो मिल गयी
और यदि ये भी हुआ धड़ाम तो क्या
पीला हरा नारंगी, जाने कितने रंग हैं
आज मैंने ख़ुशी नीले गुब्बारे में जुड़ती देखी
गुब्बारे वाले को देखते ही खुश हो उठता है
की उसे इन रंग बिरंगे गुब्बारों में से
ये वाला, नहीं नहीं वो वाला
या फिर सारे के सारे गुब्बारे चाहिए
लाल पीला हरा नीला
किर्र किर्र की झुंझला देने वाली आवाज़ वाला गुब्बारा
और माँ ख़ुशी ख़ुशी उस नटखट की ख़ुशी में
कुछ छोटे कुछ बड़े गुब्बारे ले देती है
दो चार क्षणों बाद ही, धड़ाम!
फूट गया लाल गुब्बारा
टूट गया कोमल हृदय
यही तो सबसे प्यारा गुब्बारा था
अँखियों से मोती जो टपकने से लगते हैं
माँ उन्हें पोछती है, बच्चे को पुचकारती है
कहती है,
अरे ये नीला वाला तो तुम्हारे कपड़ों के रंगों से
मेल खाता है, लाल वाला तो कुछ छोटा सा था
और वो हंसने लगता है
उसे लाल गुब्बारे वाली ख़ुशी
नीले गुब्बारे में जो मिल गयी
और यदि ये भी हुआ धड़ाम तो क्या
पीला हरा नारंगी, जाने कितने रंग हैं
आज मैंने ख़ुशी नीले गुब्बारे में जुड़ती देखी
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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