Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Friday, June 3, 2011

फिर एक रात है...!!!


आज फिर एक रात है
अनजानों से भरी
बातें हैं सबकी देखो,
कुछ सुनी, कुछ अनकही
ये साथ के राही
कुछ कुछ पहचाने से हैं,
फिर एक पल लगता है
कितने बेगाने से हैं...

ये छोटा बच्चा
इतना प्यारा क्यों हैं,
इसकी बातों का पिटारा
इतना सारा क्यों हैं?
इस औरत के गहने
चमक-चमक रहे हैं
आँखों में ख़ुशी लिए
दमक-दमक रहे हैं...

पर ये राह, थोड़ी धीमी सी है
हाँ, बस तुम्हारी कमी सी है
क्या हम कुछ बातें करें!!
या साथ रहकर भी चुप चुप रहे
खामोश तो यूँ
सारी ज़िन्दगी बीतेगी
पर एक "दोस्त" के बिना
अधूरी ही रहेगी

आज फिर एक रात है
अन्जानों से भरी...!!!


5 comments:

  1. ye chota bacha itna pyara kyo h?
    iski baato ka pitara itna sara kyo h????

    ultimate lines....
    u r genius "sir"......

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  2. tmhe bhi achi lgi ye line...!!
    thanks...bachche...

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  3. kya baat hai snehil ji aap to kamal likhte ho.......
    Ye raah thodi dheemi si hai
    haan bas kuch tumhari kami si hai
    kya hum kuch baatein karein
    ya saath rah kar bhi chup chup rahein

    awsome lines .....

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  4. बहुत बहुत शुक्रिया हौसला आफजाई
    के लिए...

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  5. sach a nice!!! poem.

    snehil...snehil....snehil...

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