नहीं मिटेगा नहीं मिटेगा चहुंओर फैला अंधियाला
जब तक हृदय पीता रहेगा अमृत रुपी विष का प्याला
नहीं होगी सुबह सुहानी जब जब डसेंगे सर्प विषैले
मृतप्राय हो जायेगा जीवन सबके मन हो जायेंगे मैले
रक्त बहेगा नदियों में तब इंसान जानवर बन जायेगा
एक दूसरे को चीरेगा बिन मारे फिर वो खायेगा
प्रेम रहेगा जंजीरों में, विश्वासघात सुन्दर आसन पर होगा
करुणा भी अब मौन रहेगी चहुंओर दुःशासन होगा
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अंधियाले की बात निराली तब है जब तक दीप नहीं है
एक किरण के आ जाने से अंधियाले का अस्तित्व नहीं है
सुबह सुहानी हो ही जाती यदि सर्पों को कुचला जाता
जीवन मृत्यु सार सत्य है कोई इनसे बच नहीं पाता
नदियों में शीतल जल होता यदि कहीं रक्तपात ना होता
इंसान भी इंसान ही होता, जानवर का साथ ना होता
जंजीरें प्रेम की टूट ही जाती, विश्वासघात भी मूर्छित होता
करुणा का आँचल शब्दों संग कृष्ण भाव से अर्जित होता
Picture credit: www.fantheember.com
जब तक हृदय पीता रहेगा अमृत रुपी विष का प्याला
नहीं होगी सुबह सुहानी जब जब डसेंगे सर्प विषैले
मृतप्राय हो जायेगा जीवन सबके मन हो जायेंगे मैले
रक्त बहेगा नदियों में तब इंसान जानवर बन जायेगा
एक दूसरे को चीरेगा बिन मारे फिर वो खायेगा
प्रेम रहेगा जंजीरों में, विश्वासघात सुन्दर आसन पर होगा
करुणा भी अब मौन रहेगी चहुंओर दुःशासन होगा
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अंधियाले की बात निराली तब है जब तक दीप नहीं है
एक किरण के आ जाने से अंधियाले का अस्तित्व नहीं है
सुबह सुहानी हो ही जाती यदि सर्पों को कुचला जाता
जीवन मृत्यु सार सत्य है कोई इनसे बच नहीं पाता
नदियों में शीतल जल होता यदि कहीं रक्तपात ना होता
इंसान भी इंसान ही होता, जानवर का साथ ना होता
जंजीरें प्रेम की टूट ही जाती, विश्वासघात भी मूर्छित होता
करुणा का आँचल शब्दों संग कृष्ण भाव से अर्जित होता
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© Snehil Srivastava
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