Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Wednesday, December 31, 2014

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अनगिनत दीवारों की परतों को करीब से देखने की ख्वाइश सी जगी है दिल में आज, कल या शायद परसों- इनकी परतों से आंसुओं को बहते देखा था परत दर परत आंसू धुंधले हो चले थे उन्हीं दीवारों के पीछे कहकहों की आवाज़ें गूँज रही थीं उसी गूँज में कहीं किसी का सिसकना मेरी ख्वाइश और दीवार की ज़िन्दगी से अनचाहा मेल खा रही थी

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