Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Wednesday, December 24, 2014

मृत सवेरा और मसीह
The dead dawn and Christ

विस्मृत करती हैं मुझे कुछ छोटी छोटी सी बातें
जैसे नदिया क्यों बहती है और क्यों होती हैं रातें
क्यों आता है सुख, और आकर जाता ही क्यों है
इन सबका कारण मैं नहीं इन सबका कारण तू है

क्यों ठिठुरन इतनी बढ़ती है कि मानव सो ही जाता है

क्यों सवेरा होने पर वो घनघोर अँधेरा पाता है
क्यों हृदय विदारक घटनाएं हर रोज यहाँ पर होती है
जब सारी दुनिया सोती है क्यों सच्चाई अकेली रोती है

क्यों होता है क्रोध का जन्म जब करुणा तेरी ही संतान है

ये तेरी ही तो करनी थी अब क्यों तू इतना हैरान है
क्यों अग्नि की बरसातें हैं जब शीतल जल भी होता है
क्यों सब कुछ इतना मुश्किल है जब जीवन सरल ही होता है

क्यों होता है ये युद्ध धरा पर, क्यों रक्त कटारें चलती हैं

क्यों नित दिन कोई नाहक मरता है, ना हृदय दीवारें पिघलती हैं
क्यों होता है आसाम यहाँ जब सघन अँधेरा होता है
क्यों यीशु के जन्म से पहले एक मृत सवेरा होता है

Picture credit: www.ibtimes.com



(Note- No part of this post may be published, reproduced or stored in a retrieval system in any form or by any means without the prior permission of the author.)
© Snehil Srivastava

No comments:

Post a Comment