आज तुम एक बार फिर मेरे ख़्वाब में आयी
अब आ ही गयी हो तो सुनो-
क्यों बैठी हो चुप सी थोड़ा शरमायी शरमायी
अब गुस्सा छोड़ो, मुस्कुरा भी तो दो
ये जो तुम आँखों से मुझसे लड़ती हो
कहाँ से लाती हो इतना प्यारापन
मुझे तुमसे और भी प्यार होने लगता है
अब कह भी दो मुझसे अपना सारा मन
तुमसे मेरा जीवन कोमल फूलों सा महकता है
तुम्हारा वो 'काश' याद है तुम्हें
जो मेघों की भाँति बरस उठता है
तुम्हारा स्पर्श अमृतांत लगता है मुझे
जो तुम्हारी चंचलता में बसा हुआ है
मेरा रिदय तुम्हें पाकर स्पंदित होगा
इसलिए आज तुम यहीं ठहर जाओ
मेरे ख्वाब में, जो बस यूँ ही चलता रहेगा
मेरे और करीब आओ, कहीं मत जाओ
Picture credit: www.fineartamerica.com
अब आ ही गयी हो तो सुनो-
क्यों बैठी हो चुप सी थोड़ा शरमायी शरमायी
अब गुस्सा छोड़ो, मुस्कुरा भी तो दो
ये जो तुम आँखों से मुझसे लड़ती हो
कहाँ से लाती हो इतना प्यारापन
मुझे तुमसे और भी प्यार होने लगता है
अब कह भी दो मुझसे अपना सारा मन
तुमसे मेरा जीवन कोमल फूलों सा महकता है
तुम्हारा वो 'काश' याद है तुम्हें
जो मेघों की भाँति बरस उठता है
तुम्हारा स्पर्श अमृतांत लगता है मुझे
जो तुम्हारी चंचलता में बसा हुआ है
मेरा रिदय तुम्हें पाकर स्पंदित होगा
इसलिए आज तुम यहीं ठहर जाओ
मेरे ख्वाब में, जो बस यूँ ही चलता रहेगा
मेरे और करीब आओ, कहीं मत जाओ
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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