इतना सारा काजल?
पर तुम्हारी आँखें तो
वैसे ही खूबसूरत है
बातें जो कर लेती हैं
बड़ी अदा से
पलकें झपकना
होठों पर मुस्कराहट लाना
मुझसे अनजाना बन जाना
मेरा वास्ता ना भी हो तुमसे
किन्तु मैं क्या करूँ
हंसना तो
मुझे भी अच्छा लगता होगा
मुझे क्या भाया तुममें
पूछो खुद से
जवाब मिले
तो मुझे बताना जरूर
एक बार भी तो
नहीं हुआ ऐसा
कि तुम्हें देखूं
और ईश्वर से मिलन न हो
नहीं मांग रहा मैं
तुमसे कुछ भी
तुम्हें तो, सच जानो
इस बार नहीं
सब कुछ बीतकर
वापस आता ही है
आज कल नहीं
तो फिर कभी
तुम्हारा गहरा काजल
तुम्हारी स्मृति
तुम्हारे पल
याद रहेंगे मुझे।
Picture credit: www.thereaderstime.com
पर तुम्हारी आँखें तो
वैसे ही खूबसूरत है
बातें जो कर लेती हैं
बड़ी अदा से
पलकें झपकना
होठों पर मुस्कराहट लाना
मुझसे अनजाना बन जाना
मेरा वास्ता ना भी हो तुमसे
किन्तु मैं क्या करूँ
हंसना तो
मुझे भी अच्छा लगता होगा
मुझे क्या भाया तुममें
पूछो खुद से
जवाब मिले
तो मुझे बताना जरूर
एक बार भी तो
नहीं हुआ ऐसा
कि तुम्हें देखूं
और ईश्वर से मिलन न हो
नहीं मांग रहा मैं
तुमसे कुछ भी
तुम्हें तो, सच जानो
इस बार नहीं
सब कुछ बीतकर
वापस आता ही है
आज कल नहीं
तो फिर कभी
तुम्हारा गहरा काजल
तुम्हारी स्मृति
तुम्हारे पल
याद रहेंगे मुझे।
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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