सिर्फ़ लिखना हो तो क्या ना लिख दूँ
पर कहने को तो हिम्मत चाहिए
ज़ेहन है भारी, थोड़ा उदास है दिल
पर जीने को तो मोहब्बत चाहिए
अब हुई शाम है, लफ्ज़ हुए बदनाम हैं
सूरत ना सही थोड़ी सीरत चाहिए
बड़ा गुमां था मुझे अपनी शायरी पर
शेर कहने को, बस जरा सी शख़्सियत चाहिए
मुझे बोला किसी ने मुझमें वो बात नहीं
पूछो उन्हें, उन्हें अब क्या चाहिए
अब क्या चाहिए, पूछो उन्हें
मेरी सांसे चाहिए या मेरी हार चाहिए
चलो फिर उन्हें अपनी जान ही दे दूँ
मुझे तो बस उनकी हंसी चाहिए
सिर्फ़ लिखना हो तो क्या ना लिख दूँ
पर कहने को तो हिम्मत चाहिए
-Snehil Srivastava
Picture credit: www.wikiart.org
(Note- No part of this post may be published, reproduced or stored in a retrieval system in any form or by any means without the prior permission of the author.)
© Snehil Srivastava
No comments:
Post a Comment