बड़े जोर-शोर, गाजे-बाजे के साथ
माथे पर तिलक
भुजाओं पर चन्दन
मुख ललाट पर कान्ति
और भी ना जाने
कितनी अबूझ भ्रान्ति
पर वो शान्त
एकटक शून्य को निहार रहा था
उसकी अनंत कलाओं में
ये भी एक कला थी
शब्द एक नहीं
बातें गहरी, अनकही
उसका तेज
मृत्यु पटल की कालिमा को
क्षीण कर दे रहा था
बलि-वेदी, यज्ञ-वेदी जान पड़ती थी
और वो मंत्रो के पवित्र उच्चारण में
स्वाहा होने को तत्पर
हर बीतता क्षण
नए जन्म की दिशा में
पुरजोर बढ़ रहा था
ना कोई विस्मय
ना ही कोई ग्लानि
केवल-
विजय और गर्व का सम्मिलन
हे वीर! आखिर तू है कौन?
ओम! शांतिः!
Death is not that beautiful for everyone. But for him death is one divine thing. All for that Almighty, with all love. With all happiness.
Picture credit: www.thempxy.deviantart.com & www.extreme-justindians.blogspot.com
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© Snehil Srivastava
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