गांव की गोरी की चिठ्ठी
शहर में बाबू को
कि मैं ठीक हूँ, मुन्नी बीमार है
कब आओगे,
मुन्नी के बापू?
शहर में बाबू को
कि मैं ठीक हूँ, मुन्नी बीमार है
कब आओगे,
मुन्नी के बापू?
दोस्त बने
दो अनजानों की चिठ्ठी
अपने सुख दुःख को बांटते
बीतते दिनों में
पोस्टमैन बाबू की राह ताकते
दो अनजानों की चिठ्ठी
अपने सुख दुःख को बांटते
बीतते दिनों में
पोस्टमैन बाबू की राह ताकते
माँ की चिठ्ठी,
जिसके जवाब के इंतज़ार में
उसकी आँखें पथरा सी गयी हैं
कि आज कुछ खबर लाएंगे
पोस्टमैन बाबू मेरे बेटे की
जिसके जवाब के इंतज़ार में
उसकी आँखें पथरा सी गयी हैं
कि आज कुछ खबर लाएंगे
पोस्टमैन बाबू मेरे बेटे की
इन सैकड़ो चिट्ठियों में
कभी किसी का जन्म
कभी किसी की मृत्यु
हुआ करती है
गला भर आता है कई बार
ख़ुशी से छलकते आंसू भी
दिखें हैं कई दफ़ा
कभी किसी का जन्म
कभी किसी की मृत्यु
हुआ करती है
गला भर आता है कई बार
ख़ुशी से छलकते आंसू भी
दिखें हैं कई दफ़ा
ढेरों चिट्ठियां, उनके बीच पोस्टमैन बाबू
कोई नहीं भेजता इन्हें
एक भी चिट्ठी
कोई नहीं लेता खबर
इनके सुखों की, इनके दुखों की
कोई नहीं भेजता इन्हें
एक भी चिट्ठी
कोई नहीं लेता खबर
इनके सुखों की, इनके दुखों की
और ये खुद-
अनगिनत लोगों के चेहरों पर
संतुष्टि का भाव देखकर
सहज ही मुस्कुरा पड़ते हैं
पोस्टमैन ना हुए,
कोई और हो गए
-Snehil Srivastava
अनगिनत लोगों के चेहरों पर
संतुष्टि का भाव देखकर
सहज ही मुस्कुरा पड़ते हैं
पोस्टमैन ना हुए,
कोई और हो गए
-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava
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