"एक ख्वाब था एक सोच थी
एक बूँद थी ओस की;
ख्वाब में वही तुम थी
बांते थीं मेरे मन की
मन से तेरे प्यार था
हांथों में माँ सा दुलार था
ढेरों अधूरे सवाल थे
उत्तर जिनके विशाल थे
अब ! ना ख्वाब हैं ना सोच है
आँखों में गर्म ओस है,
सच में तुम नहीं हो
या शायद तुम वही हो
मन से सब तेरा है
तेरी मौन करुणा पर हक मेरा है
सामने सारे जवाब हैं
एक अधूरे प्रश्न का एहसास है...!!"
हिंदी ब्लाग लेखन के लिए स्वागत और बधाई
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Samay ke saath kitna kuchh badal jata hai!
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ReplyDeletegreat
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