अभी अभी आँखों में पानी सा महसूस हुआ
की जैसे मैंने बिलकुल ठंडे सूरज को छुआ
ठण्ड भी कभी कभी गरम लगती है
हम जागते हैं और आँखें सोती हैं
मन सहजता से दूर हो जाता है
ह्रदय खुद से मजबूर हो जाता है
स्वयं के उत्तर अब प्रश्न बन गए हैं
और ना जाने गहरे समंदर में कहा खो गये है....
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