Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Tuesday, August 16, 2011

अकारण!!


ये रंग तुम्हारे- प्रकृति
हर क्षण क्यूँ बदलते हैं
क्या ये कोई नियम है
या बस अकारण!!
ऐसा तुम खुद चाहो-
लगता नहीं मुझे.

हर समय, ए समय
तू बदल क्यूँ जाता है
क्या ये कोई वचन है
या बस अकारण!!
ऐसा तुम खुद करो-
संशय है मुझे.

ये रूप तुम्हारा, जीवन
इतना सारा क्यूँ है
क्या ये कोई प्रहसन* है
या बस अकारण!!
ऐसा तुम खुद करो
आश्वस्त** नहीं हूँ मैं.

और 'मैं' तुम सबसे
मिलकर बना हूँ
फिर भी 'एक' हूँ
क्या ये कोई भरम है
या बस अकारण!
तुम सब हो इसका कारण
विश्वास है मुझे...





*- play, नाटक, farce comedy, satire
**- confirm, sure

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