Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Tuesday, September 27, 2011

जब फिर कभी...


जब फिर कभी धुंधली सी शाम होगी
और तुम होकर भी साथ ना होगी
चाहे कितने भी नम हों मेरे नयन
तुम्हारे बिना ज़िन्दगी अधूरी ही रहेगी

जब फिर कभी वो रात आएगी
थककर बैठ जाएगी, पर तुम्हें ना पाएगी
बोझिल होकर देखेगी नवीन स्वप्न
तुम्हारे बिना 'वो रात', फिर ना उठेगी

जब फिर कभी वो स्पर्श होगा
घने अँधेरे में तुम्हें महसूस करेगा
ना पाकर तुम्हें वो 'स्वप्न' सजल
आँखें बंद किये नमित कोरों से सजेगा

जब फिर कभी 'वही राह' मिलेगी
और चुभती हुई मुझे थाह मिलेगी
तुम ना हो वहाँ, यही करूँगा जतन
बस तुम्हारी कमी सारी उम्र खलेगी|

Sunday, September 25, 2011

रहस्य अंत और रहस्य.

ये जो एहसास है
निश्चल, सरल, निर्मल
अनछुआ, अनकहा
चला आ रहा था
अज्ञात विश्वास से,
ना जाने कब से?
पहला नाम इसका, था-
मार्मिक, सार्वभौमिक, अलौकिक
या कह दो,
विस्तार से भी विस्तृत
परन्तु,
शब्दों की सीमाओं में
बंधा हुआ
ये खोज में था
खुद में छिपे
अस्तित्व की.
और अब,
जब ये बन चुका है
अनुभूति, प्रतिभूति
विरक्ति, आसक्ति.
कर रहा है कोशिश
छुड़ा लेने की
इन
बंधनों से, अड़चनों से
कभी न प्राप्त हुए
अवसरों से
और,
क्या कभी संभव होगा-
कुंठा, कटुता और
प्रतिक्रिया से दूर हो पाना
यदि हाँ-
तो कब
और कैसे?
यदि नहीं-तो इसका कारण
गूढ़ रहस्य की तरह
उलझनों में
उलझा हुआ है और
सदा रहेगा.
विराम लगाना होगा इसपर
अन्यथा यह,
सदा ही अबाध गति से
चलता ही रहेगा,
चलता ही रहेगा...


MEANING-
निश्चल- stagnant
निर्मल- serene, translucent
अनछुआ- untouched
अनकहा- unuttered, tacit
मार्मिक- touching, poignant
सार्वभौमिक- universal
अलौकिक- superhuman, uncanny
अस्तित्व- existent

अनुभूति- realization 
प्रतिभूति- bond
विरक्ति- disaffection, indifference, alienation
आसक्ति- attachment, affection
अड़चनों- obstacle, hurdle
कुंठा- frustration
कटुता- bitterness, cyncism
गूढ़- deep, mysterious
अबाध- unstoppable