Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, January 26, 2012

है कहानी ये पुरानी


है कहानी ये पुरानी
राष्ट्र के सम्मान की
देशभक्तों ने लिखी थी
गणतंत्र के पहचान की
ख़्वाब देखा था सभी ने
एक विकसित देश का
देश के हर जन का
यही एक उद्देश्य था

आज है गणतंत्र दिवस
फैला हुआ है उजाला
नयी किरण इस नयी सुबह की
मन में हैं खुशियों की हाला
है अग्रसर, उन्नति के पथ पर
देश मेरा भारत महान
करनी है सेवा निःस्वार्थ मन से
इसपर न्योछावर मेरे प्राण.

2 comments:

  1. SHAYAD YE IS MAHAN DESH KA DURBHAGYA HI HAI KI AJ BHI YE DESH PURN ROOP SE "GANTANTRA" NHI HAI..... BHALE HI HUM DESH BHAKTI KI BADI-BADI BATEN KARTE HON, LEKIN VO SACHCHA DESHBHAKT JO HUM ME 40-50 K DASHAK ME HUA KARTA THA, VO AJ KHIN KHO SA GYA HAI.....ZARURAT HAI,KI HUM FIR SE USE JAGAYE...... JAI HIND , JAI BHARAT......

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