Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, August 30, 2012

जीवन तुमसे... Because of You, My Life...


टुकड़े हैं ये आधे अधूरे
बस होते हैं सपनों में पूरे
बंद आँखों से सच है दिखता
चाहे कितने भी हों अँधेरे
सपनों की तो बात निराली
पतझड़ में भी है हरियाली
महक भरी उस शाम ने पूछा
क्या हो तुम केवल मेरे
उन बांतों से मुस्कान है मेरी
बीती रांतें अब हैं ठहरी
पूरा है ये जीवन तुमसे
खो गए सारे अँधेरे
जोड़ लिया इन टुकड़ों को अब
मुझसे रूठा बैठा है रब
सपनों में वो साथ है देता
रेत पर लिखे शब्द सुनहरे

Tuesday, August 28, 2012

ज़िन्दगी तेरे बिना...Life without 'You'

साँसों की, आवाजों की
भूली बिसरी यादों की
दूरियां है दरमियां
वक़्त का मंज़र सामने खड़ा
चीख रहा यूँ,
मुझपर बेइंतेहां
हांथों का कम्पन, वो सर्द सिहरन
याद है मुझे
वो बेतकल्लुफी का समां
रात का डर, मेरा हमसफ़र
कैसे कहूँ,
अकेला है ये जहाँ
नाराज़गी थी मुझसे, तुझे
नहीं है तू
फिर क्यूँ है हर जगह
जन्नत के एहसास की, हर उस बात की
वजह है तू
और मैं हूँ बेवजह
नाकाफी है ये कश्मकश
अब कैसे रहूँ
ज़िन्दगी तेरे बिना
काफिर ये बाहें, ढूंढती  निगाहें
कैसे मैं सहूँ
है दर्द की तरह चुभता
तृष्णा, उस खुदा की
लापता मैं फिरूँ
खुद से रिहा

Sunday, August 26, 2012

वह 'शब्द' आत्मविश्वास है... Confidence, a word!!



वह निश्चल है, वह श्वेत है
हाथों से सरकती रेत है
वह आत्मिक है, वह निर्भय है
हर हार में छिपी विजय है
वह सौम्य अनवरत राह है
सदा बहने वाला प्रवाह है
वह एक 'शब्द' है चाह का
कर्णप्रिय मुस्कान, हार आह का
मानो तो लम्बी रात है
जाने कबसे अज्ञात है
सभी को भाता भाव है
तपती धूप की, ठंडी छाँव है
वह रहस्य है, अस्तित्व का
हर सुन्दर, निखरे व्यक्तित्व का
मानो तो विश्वास है,
वह 'शब्द' आत्मविश्वास है

Saturday, August 18, 2012

वक़्त बेवक्त याद आती है तेरी



वक़्त बेवक्त याद आती है तेरी
जैसे गहरे समंदर में रुकी सांसें हों मेरी
ये सर्द एहसास दिल तक उतर आया है
घनी रातों में साथ चलता तेरा ही साया है
नम आँखों से देखकर दुनिया की हंसी
दिल कहता है, तू बस यहीं है कहीं
हर आहट बस तेरी सी लगती है
जिधर देखूं, तू ही तू दिखती है
तमन्ना है तू फिर मुझे गले लगाये
जैसे सदियाँ बीत गयीं हों तेरे पास आये
यकीन है तुझपर कि तू मेरा नसीब है
उसने जुदा किया है जो मेरा रकीब है
दुआ कर कि मैं मरकर भी जी सकूँ
तेरा ना हो सका तो उस खुदा का हो सकूँ
तेरी याद से इतना गहरा रिश्ता है मेरा
खुद को देखूं तो भी नज़र आता है तेरा चेहरा|

तमस के बाद...



फिर एक बार
तमस का साथ
दे रहा ह्रदय पर आघात
जूझना खत्म हो चुका था
एक बार फिर शुरू हुआ
अन्तर्द्वन्द्व निरंतर अग्रसर है
चिरनिंद्रा की आशा में
नींद से दूर
घनघोर निराशा में
व्यक्तित्व बिखरा हुआ
कण कण में मिलकर
फैला है चहुँ दिशाओं में
शायद महके एक फूल बनकर
पाषाण खण्डों का जहान
सत्य से दूर
असत्य की होड़ में
हृदय है मजबूर
शून्यता चीख कर बोली
हार चुके हो तुम
अनगिनत सरोकारों से रहित
अश्वास संसार हो तुम
संताप कालिमा लिए
रौशनी का आभास करा रही
जो दूर है कहीं छिपी हुई
पर नज़र नहीं आ रही
क़दमों की थकान कहती-
रुक जाओ अब यहीं
होठों की मंद मुस्कान कहती
हारना सत्य है, पर यूँ रुकना नहीं
हर तमस के बाद
होता है उजाले से साक्षात्कार
आशा ही किरण है
है सफल जीवन का आधार

Thursday, August 16, 2012

इन सबसे अच्छा क्या होता...?



इन सबसे अच्छा क्या होता
चारों ओर फैले पहाड़ों से
आसमां में छिपे तारों से
पानी की इस आवाज़ से
दिल के ठन्डे एहसास से
उस दूर चमकती रौशनी से
जो महसूस होती है सिर्फ यहीं से
इस सर्द हवा की सिहरन से
दिल की मंद धड़कन से
असीम शांति की हूंक से
प्रकृति के इस सुन्दर रूप से
आसमां-धरती के मिलन से
इस सच होते स्वप्न से
कोमल ठंडी साँसों से
इन काली खाली रातों से
अकेलेपन के साथ से
दूर सुनाई देती, उस आवाज़ से
इन सबसे अच्छा क्या होता...!!

इन सबसे अच्छा होता-
पहाड़ों पर तुम्हारा साथ
इन छिपे तारों की नीचे, बीती रात 
हम साथ पानी की आवाज़ सुन पाते
दिल की इस ठंडक को महसूस कर पाते
उस दूर चमकती रौशनी तक साथ पहुँचते
वहां जाकर ही उसे महसूस करते
हवा की इस सिहरन को हम मिटा देते
दिल की धड़कन को और बढ़ा देते
असीम शांति और गहरी हो जाती
प्रकृति की सुन्दरता और बढ़ जाती
आसमां-धरती जैसा होता हमारा मिलन
पूरे करते, साथ देखे- सारे अधूरे स्वप्न
ठंडी सांसें एक हो जाती
ये काली खाली रातें दूर हो जाती
बस, तुम्हारा साथ होता
जो सारी दूरियां मिटा देता
इन सबसे अच्छा होता- तुम्हारा साथ!!

Wednesday, August 15, 2012

ये याद है जो तेरी



ये याद है जो तेरी, मुझमें बसी सी लगती है
जब हो जाता हूँ अशब्द, बंद आँखों से ये कहती है
दिखती है तू हंसती हुई, मुझसे बाँतें करती  हुई
फिर ना जाने क्यूँ, मुझसे दूर तू रहती है
जब दूरी थम सी जाती है, रातें सर्द हो जाती हैं
नर्म हाथों की उस गर्मी से, मुझको सुकून तू देती है
उन काली खाली रातों से करनी है मुझको दोस्ती
अकेले चलते इन राहों पे, सांसें मेरी भी थकती हैं

ये याद है जो तेरी, मुझमें बसी सी लगती है
जब हो जाता हूँ अशब्द, बंद आँखों से ये कहती है

क्यों नहीं हो तुम मेरे साथ, क्या जानो तुम इसका एहसास
बस याद यही है तेरी, जो मुझसे बाँतें करती है
जब भीड़ भरी इस दुनिया में, मैं अकेला ही रहता हूँ
ये याद वहां भी आकर, मुझसे क्यूँ झगड़ती है
है दूर बहुत दूर, फिर क्यूँ करीब ही लगती है
खुद में शायद है जज़्ब किया, फिर भी अलग ही रहती है
अब रहना है उस सीमा में, वरना टूट सा जाऊंगा
टूट के जुड़ना मुश्किल है, स्नेहिल से वो कहती है

Tuesday, August 7, 2012

life-


The story of my life
had never the edge of sharp knife
though I thought to make it tough
when it become one, it really hurts
I was ready for every wound
deep in heart, blooded; making sigh sound
No, I am okay. Don't feel bad for me.
I knew, it will happen. I am in no worry.
a bit confused, how to cry?
I was is, always very shy.
Pain is good, but not the ease.
Life is life- not soft cheese.
No regret for any bad, I made
I am lonely, is it fate?
look into the brighter side
living life, happily; alone with pride.

Sunday, August 5, 2012

My Friend - I send you the smile




My friend,
I send you the smile
My gem,
be there throughout my life.
You are a peerless pearl
for me
Whether life act
as an enemy.
When I smile,
I wish you too
When you cry,
I wish you don't do.
When we fight,
it shows a glimpse of satisfaction
All these thoughts,
you know God's creation...

Saturday, August 4, 2012

ख्वाहिशें कभी नहीं टूटती...




नाकामी ये नहीं
कि हम गिर जायें
पर ये,
कि गिरकर, उठने का
साहस ना जुटा पाएं
नाकामी के पल
हमें और भी गहरी
गर्त में ले जाते हैं
जहाँ से निकलने के
सारे रस्ते
बंद ही नज़र आते हैं
सही भी अब सिर्फ
गलत नज़र आता है
जहान की सारी गन्दगी से
मन भर सा जाता है
सब कुछ मिटा देने को
दिल कहता है
इश्वर भी दूर बैठा
हँसता हुआ दिखता है
ज़िन्दगी के मायने
बदल जाते हैं
इंसान में छिपे चेहरे
साफ़ नज़र आते हैं
ख्वाहिशों का दम
टूट जाता है
हर तरफ
घना अँधेरा नज़र आता है

परन्तु,
हर नाकामी
एक नयी सफलता की सीख है
गिरकर, उठाना ही
मानव की पहली जीत है
बीता  हुआ मिटा देना
सच की शुरुआत है
बंद रास्तों पर राहें बना लेना
ही कोई बात है
दूर बैठा इश्वर
सब जानता है
हँसता है
क्यूंकि वो इंसान में छिपा
इंसान पहचानता है
कुछ भी हो जाये
ख्वाहिशें कभी नहीं टूटती
हर घने अँधेरे के बाद ही
रौशनी है होती