Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, August 18, 2012

वक़्त बेवक्त याद आती है तेरी



वक़्त बेवक्त याद आती है तेरी
जैसे गहरे समंदर में रुकी सांसें हों मेरी
ये सर्द एहसास दिल तक उतर आया है
घनी रातों में साथ चलता तेरा ही साया है
नम आँखों से देखकर दुनिया की हंसी
दिल कहता है, तू बस यहीं है कहीं
हर आहट बस तेरी सी लगती है
जिधर देखूं, तू ही तू दिखती है
तमन्ना है तू फिर मुझे गले लगाये
जैसे सदियाँ बीत गयीं हों तेरे पास आये
यकीन है तुझपर कि तू मेरा नसीब है
उसने जुदा किया है जो मेरा रकीब है
दुआ कर कि मैं मरकर भी जी सकूँ
तेरा ना हो सका तो उस खुदा का हो सकूँ
तेरी याद से इतना गहरा रिश्ता है मेरा
खुद को देखूं तो भी नज़र आता है तेरा चेहरा|

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