Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Thursday, February 25, 2016

Vaamika (Short Film): Manisha Malhotra


A man wakes up late at night and finds his wife missing in mysterious circumstances. He hears her scream and begins to seek for her, crossing weird happenings and voices. The series of events repeat themselves in hideous ways. A dream, a fact or a déjà vu.

Credit: https://www.youtube.com/channel/UCjeADfiW5PZAoN2DopQAu_Q


-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

Tuesday, February 9, 2016

सुलझन?
Resolved?

क्या लिख दूँ क्या ना लिख दूँ
मन का सारा सूनापन लिख दूँ।
सरल सलोने भावों को लिख दूँ
कठिन रिश्तों का रूखापन लिख दूँ।
प्रेम सरस की ढेरों बातें
ईर्ष्या द्वेष का बंधन लिख दूँ।
बहती नदिया और उसका मीठा जल
सागर का खारापन लिख दूँ।
तिमिर सरीखी लिख दूँ शीतलता
सूरज की घोर अगन लिख दूँ।
मौन हुई मानवता लिख दूँ
संवेदनाओं का दर्पण लिख दूँ।
थमे हुए इन हाथों को लिख दूँ
खोया चंचल बचपन लिख दूँ।
जीवन लिख दूँ या फिर मृत्यु
या इनमें व्याप्त अधूरापन लिख दूँ।

-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

Monday, February 8, 2016

अपने से पराये
Known-Unknown

गहरी सर्द रातों में
यादों की सिलवटें
और मुंदी आँखों का जागना
कुछ बेमानी सा लगता है
तमाम आवाजों का
अपने होने की वजहें
सन्नाटे के घर में तलाश करना
कुछ रूहानी सा लगता है।

पर क्या करें...?
ये रातें, ये यादें
उनपर सिलवटें, ये मुंदी आँखें
और सन्नाटे के बीच, खोयी आवाज़ें
अब मेरी नहीं।
इन पर असली हक़ तो
किसी अपने से पराये का है
अब तो बस एक गहरी नींद का इंतज़ार है।


-Snehil Srivastava
Picture credit: An unknown 'Photographer'
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