Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Sunday, April 25, 2010

Missing .U Didu...!!



जो तुम कहो...बस वही
और कुछ भी नही..!


हँसता था मै तब तब
जब इश्वर ने छीन लिया था मुझसे सब
फिर एक नन्ही सी परी..आई
और फिर आँखों में रौशनी सी छाई
लगा जैसे सब कुछ ठीक हो जायेगा
मन का हर सपना पूरा हो जायेगा
फिर मैंने उसे कहा तुम मेरी DIDU  हो
उसने पुछा, क्या तुम मेरे भाई नहीं हो..?
मै बोला , हाँ हूँ मै तुम्हारा भाई
अब नही रह पाउँगा,इतनी ख़ुशी थी पायी
क्यों चले गये हो DIDU तुम मुझसे दूर
क्या तुम हो इतने ही मजबूर
बस तुम खुश रहो, हमेशा है सोचा
ना कहूँ तुमको, कुछ भी, हो तुम छोटा सा बच्चा
मै शायद हूँ इतना ही पागल
जो तुम्हे हर वक़्त करता हूँ, शब्दों तले बोझिल
नही है मेरा ये प्यार बोझ DIDU
तुम सच में हो मेरी, और सिर्फ मेरी DIDU
अब क्या करूँ कि तुम वापस आ जाओ
इतना, कि कभी दूर ही ना जा पाओ
पर शायद ये एक बंधन होगा
और एक झूठा सा सच रहेगा
समझ नही पा रहा अब और क्या लिखूं
या शब्दों को यूँ अधूरा ही रहने दूँ.....??



नही है मेरा ये प्यार बोझ DIDU
तुम सच में हो मेरी, और सिर्फ मेरी...DIDU !! 

Wednesday, April 14, 2010

Miss ya.........!!!!!!!



wait
let me write something
it is..
that..
that day i said,
something about hope..
hope u remember it...
so
hope is a gud thing..
and
I am still on my words..
hope we will always be very good friends....
who will always say...
jai ho..
radhey radhey
and
radhey radhay...
that is it...
irrespective
the reasons...
and conditions...
and anything....
I just won't mind anything..
I am saying you...
and i believe in it..
hope you will too...
missing you this time...
really....!!!!!

Sunday, April 4, 2010

ठंडा सूरज


अभी अभी आँखों में पानी सा महसूस हुआ
की जैसे मैंने बिलकुल ठंडे सूरज को छुआ
ठण्ड भी कभी कभी गरम लगती है
हम जागते हैं और आँखें सोती हैं
मन सहजता से दूर हो जाता है
ह्रदय खुद से मजबूर हो जाता है
स्वयं के उत्तर अब प्रश्न बन गए हैं
और ना जाने गहरे समंदर में कहा खो गये है....