Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Saturday, December 31, 2016

'आज फिर तुम वही, आज मैं भी वही'
Its a new Dawn

आज फिर सुबह हुई
आज फिर तुम वही
आज मैं भी वही
लेकिन....
बातें हैं कुछ...अनकही
तुमसे होंगी अब नयी खुशियां
होंगी मेरी आंखें नम कभी कभी
तुम्ही लाओगी मुझमें ठहराव
जैसे ये नदी कभी बही ही नहीं
या फिर एक अनवरत पल
जो तुमने अबतक पाया नहीं
तुम्हारा मुस्कुराना, प्यार से नाराज़ हो जाना
शायद इसी को कहते हैं ज़िन्दगी।
आज फिर सुबह हुई
आज फिर तुम वही
आज मैं भी वही
लेकिन....


-Snehil Srivastava
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© Snehil Srivastava

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