Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Sunday, November 20, 2011

विराम कुछ क्षणों का


विराम है ये कुछ क्षणों का
अंत की दिशा में
अधिकता विचारों की, हर पल
ले जा रही घनघोर निशा में
जिसके बाद, है विश्वास-
होगा एक नया सवेरा
सब कुछ तो होगा
पर नहीं रहेगा अस्तित्व मेरा

यही शाश्वत सत्य है
जीवन की वितृष्णा का
हर एक ख़ुशी को
कभी न कभी तो मिटना था
परन्तु, विराम ये क्षण-प्रतिक्षण
और भी गहरा हो चला है
इस तरह रोने से अच्छा
तो मिटना ही भला है.

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