Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Tuesday, August 28, 2012

ज़िन्दगी तेरे बिना...Life without 'You'

साँसों की, आवाजों की
भूली बिसरी यादों की
दूरियां है दरमियां
वक़्त का मंज़र सामने खड़ा
चीख रहा यूँ,
मुझपर बेइंतेहां
हांथों का कम्पन, वो सर्द सिहरन
याद है मुझे
वो बेतकल्लुफी का समां
रात का डर, मेरा हमसफ़र
कैसे कहूँ,
अकेला है ये जहाँ
नाराज़गी थी मुझसे, तुझे
नहीं है तू
फिर क्यूँ है हर जगह
जन्नत के एहसास की, हर उस बात की
वजह है तू
और मैं हूँ बेवजह
नाकाफी है ये कश्मकश
अब कैसे रहूँ
ज़िन्दगी तेरे बिना
काफिर ये बाहें, ढूंढती  निगाहें
कैसे मैं सहूँ
है दर्द की तरह चुभता
तृष्णा, उस खुदा की
लापता मैं फिरूँ
खुद से रिहा

9 comments:

  1. बहुत खूबसूरती से भावों को लिखा है ॥



    कृपया वर्ड वेरिफिकेशन हटा लें ...टिप्पणीकर्ता को सरलता होगी ...

    वर्ड वेरिफिकेशन हटाने के लिए
    डैशबोर्ड > सेटिंग्स > कमेंट्स > वर्ड वेरिफिकेशन को नो करें ..सेव करें ..बस हो गया .

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  2. प्रतिक्रिया के लिए शुक्रिया||
    वर्ड वेरिफिकेशन हटा दिया है, धन्यवाद...आशा है अब सहूलियत होगी...

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  3. स्नेहिल जी ... शुक्रिया

    बृहस्पतिवार को हलचल के ब्लॉग पर पधारें :)

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  4. खूबसूरत रचना

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  5. कुश्वंश: धन्यवाद, आपके मीठे शब्दों के लिए...

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  6. अच्छा लिखा है....लयात्मकता अच्छी लगी

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  7. Dr.Nidhi Tandon: Rhythm is only possible in No Rhythm. Thanks!!

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  8. दिगम्बर नासवा: शब्दों का साहचर्य यात्रा का सुकून है|
    धन्यवाद आपके शब्दों के लिए...

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