कैसे कहें कि मोहब्बत हो गयी है
उनकी नादानियों से
कैसे कहें कि उनका हर लफ्ज़
मेरा सा बन के रह गया है
दिल को इंतज़ार है अब
उनका हमराज़ हो जाने का
कैसे कहें कि हर वक़्त
अब उनका ही सरमाया हुआ है
इज़हार-ए-मोहब्बत उनका
यूँ भाया हमें खुदा-ए-इश्क
कैसे कहें कि उम्मीद का दामन
हमें छूने सा लगा है
ना चाहते हुए भी उनसे
इश्क कर बैठे ए जानिब
अब तो कह दें कि हाँ,
हमें उनसे इश्क हुआ है
- Nupur/ Snehil
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© Snehil Srivastava