Path to humanity

Path to humanity
We cannot despair of humanity, since we ourselves are human beings. (Albert Einstein)

Monday, September 30, 2013

कैसे कहें...It's- Love


कैसे कहें कि मोहब्बत हो गयी है
उनकी नादानियों से
कैसे कहें कि उनका हर लफ्ज़
मेरा सा बन के रह गया है
दिल को इंतज़ार है अब
उनका हमराज़ हो जाने का
कैसे कहें कि हर वक़्त
अब उनका ही सरमाया हुआ है

इज़हार-ए-मोहब्बत उनका
यूँ भाया हमें खुदा-ए-इश्क
कैसे कहें कि उम्मीद का दामन
हमें छूने सा लगा है
ना चाहते हुए भी उनसे
इश्क कर बैठे ए जानिब
अब तो कह दें कि हाँ,
हमें उनसे इश्क हुआ है


                                    - Nupur/ Snehil


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© Snehil Srivastava

Wednesday, September 25, 2013

दिल की बातें- Something...


तू मुझको और मैं तुझको समझाऊँ क्या
दीवाना दिल तेरा भी है और मेरा भी

दीवाना दिल नहीं ख्वाबों का मंज़र है ये
यहीं बैठे हुए, तुझे कबसे समझ रहा हूँ मैं

कसूर हमारा है जो ना समझ बने रहे,
ऐसे मंज़र तो मेरे ख्वाबों में भी आते हैं

हमने चाहा है तुम्हे, ये कसूर तो नहीं लगता
दीवाना दिल है मेरा, इसी की खता रही होगी शायद

गुफ्तगू की होगी बहुत इस दिल ने, तुमसे मिलने से पहले
ऐसी भी क्या दिललगी, ज़माना बीत गया मेरा दिल मुझे नही देखता

अब रहने भी दो, लफ्जेइश्क तुमसे ना कहे जायेंगे
दिल की बातें हैं ये, दिल कहे तो ही कुछ बात है

                                                                       - नुपुर/ स्नेहिल (Nupur/ Snehil)


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