मुझे मेरे ससुराल भेज दो
वहां ये मेरा हाल भेज दो
माँ का रोना अब देखा नही जाता
पिता का खिलौना अब टेका नहीं जाता
मुझे अब उन दूजे फूलों की सेज दो
मुझे मेरे ससुराल भेज दो
भैया से लडाई अब याद आती है
गुड्डे गुडियों की सगाई अब याद आती है
देखो भैया मुझे फिर रुलाता है
फिर प्यार से छुटकी बुलाता है
इन सारी बातों को कहीं सहेज दो
मुझको मेरे ससुराल भेज दो
जब मै मेरे ससुराल जाउंगी
इन बातों को ना भूल पाऊँगी
सबकी मुझको याद आएगी
सोने पर भी नींद ना आएगी
माँ...! तुम मुझे अपना सा तेज दो
मुझे मेरे ससुराल भेज दो...
very nice..........
ReplyDeletethanks didu....!!!
ReplyDeletethanks for the very first comment, u r always so lucky to me...see...
wow
ReplyDeletebhaiya its so emotional
luved it
very nice
thanks, dear...
ReplyDeleteyeh kya likh diya hai Snehil tumne
ReplyDeletehaddd hai yaar
wat happened.....priya...!!!
ReplyDeleteCute poem hai, bilkul tumhari tarah.............par dil chhuu jati hai kahin
ReplyDeletebahut khoob
ReplyDelete#Pallavi: Thanks.
ReplyDelete#Saurabh: Thanks bhai...