काश आज फिर एक मौत आ जाये
वैसी ही हंसीन सी
कुछ कुछ बेहतरीन सी
सपनों के पंखों तले
साँझ का सुकून जब ढले
मैं उड़ जाऊं दूर कहीं
जहाँ खोया हुआ निश्चय मिले
काश आज फिर...
मासूमियत का तरुवर हो जहाँ
अठखेलियां करें सारे मिल वहाँ
विजय को ना फिर विश्राम हो
पराजय को भी प्रणाम हो
आसक्ति का रूप बदल
आदि शक्ति सा नाम हो
काश आज फिर...
हो अंत का ना अंत कभी
जो नींद आये मैं जागूँ तभी
अस्वीकार करूँ स्वीकार्यता का मोह
मौत का आलिंगन जब हो
सत्य दर्शन से मिलूं मैं फिर
ले सके जो मेरे मन की टोह
काश आज फिर...
सजीव हो उठें हर मृत विचार
हो जाये हर सपना साकार
अस्तित्व की अंधी दौड़ रुके
आँधियाँ चलें, ना कोई पत्ता झुके
ऐसी हो आज एक सुबह
सांस रुके ये सृष्टि रुके
काश आज फिर एक मौत आ जाये
Picture credit: www.fineartamerica.com (Vrindavan Das)
वैसी ही हंसीन सी
कुछ कुछ बेहतरीन सी
सपनों के पंखों तले
साँझ का सुकून जब ढले
मैं उड़ जाऊं दूर कहीं
जहाँ खोया हुआ निश्चय मिले
काश आज फिर...
मासूमियत का तरुवर हो जहाँ
अठखेलियां करें सारे मिल वहाँ
विजय को ना फिर विश्राम हो
पराजय को भी प्रणाम हो
आसक्ति का रूप बदल
आदि शक्ति सा नाम हो
काश आज फिर...
हो अंत का ना अंत कभी
जो नींद आये मैं जागूँ तभी
अस्वीकार करूँ स्वीकार्यता का मोह
मौत का आलिंगन जब हो
सत्य दर्शन से मिलूं मैं फिर
ले सके जो मेरे मन की टोह
काश आज फिर...
सजीव हो उठें हर मृत विचार
हो जाये हर सपना साकार
अस्तित्व की अंधी दौड़ रुके
आँधियाँ चलें, ना कोई पत्ता झुके
ऐसी हो आज एक सुबह
सांस रुके ये सृष्टि रुके
काश आज फिर एक मौत आ जाये
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© Snehil Srivastav