प्रश्न चिन्हों में उठी हैं
भाग्य सागर की हिलोरें
आंसुओं से रहित होंगी
क्या नयन की नमित कोरें
जो तुम्हें कर दे द्रवित
वो अश्रुधारा चाहता हूँ
मै तुम्हारी मौन करुणा का
सहारा चाहता हूँ-Anonymous
प्रश्न चिन्हों में उठी हैं
भाग्य सागर की हिलोरें
आंसुओं से रहित होंगी
क्या नयन की नमित कोरें
जो तुम्हें कर दे द्रवित
वो अश्रुधारा चाहता हूँ
मै तुम्हारी मौन करुणा का
सहारा चाहता हूँ-Anonymous
".....मोहब्बत का इरादा अब बदल जाना भी मुश्किल है,
तुझे खोना भी मुश्किल है, तुझे पाना भी मुश्किल है.
जरा सी बात पर आंखें भिगो के बैठ जाते हो,
तुझे अब अपने दिल का हाल बताना भी मुश्किल है,
उदासी तेरे चहरे पे गवारा भी नहीं लेकिन,
तेरी खातिर सितारे तोड़ कर लाना भी मुश्किल है
यहाँ लोगों ने खुद पे परदे इतने डाल रखे हैं,
किस के दिल में क्या है नज़र आना भी मुश्किल है,
तुझे ज़िन्दगी भर याद रखने की कसम तो नहीं ली
पर एक पल के लिए तुझे भुलाना भी मुश्किल है......"By- Anonymous
मुझे मेरे ससुराल भेज दो
वहां ये मेरा हाल भेज दो
माँ का रोना अब देखा नही जाता
पिता का खिलौना अब टेका नहीं जाता
मुझे अब उन दूजे फूलों की सेज दो
मुझे मेरे ससुराल भेज दो
भैया से लडाई अब याद आती है
गुड्डे गुडियों की सगाई अब याद आती है
देखो भैया मुझे फिर रुलाता है
फिर प्यार से छुटकी बुलाता है
इन सारी बातों को कहीं सहेज दो
मुझको मेरे ससुराल भेज दो
जब मै मेरे ससुराल जाउंगी
इन बातों को ना भूल पाऊँगी
सबकी मुझको याद आएगी
सोने पर भी नींद ना आएगी
माँ...! तुम मुझे अपना सा तेज दो
मुझे मेरे ससुराल भेज दो...